- भगवान श्रीराम की प्रतिमा का श्रृंगार के बाद पहला फोटो जारी, लेकिन आँखो की पट्टी नहीं खोली गई… आप भी करें दुर्लभ दर्शन2 टन के श्याम वर्ण की प्रतिमा के साथ 10 किलो के चांदी की प्रतिमा की भी हो रही प्राण प्रतिष्ठा
अयोध्या। नवनिर्मित भव्य मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भगवान श्रीराम की प्रतिमा का श्रृंगार के बाद पहला फोटो सामने आया है, लेकिन अभी आँखो की पट्टी नहीं खोली गई। इस दुर्लभ प्रतिमा के दर्शन आप भी जरूर करें। 2 टन के श्याम वर्ण की प्रतिमा के साथ 10 किलो के चांदी की प्रतिमा की भी प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। आज शुक्रवार को प्राण प्रतिष्ठा का चतुर्थ दिवस रहा। अरणिमन्थन के साथ रामलला के विग्रह को धान्याधिवास कराया गया।
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राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला विग्रह की मनमोहक प्रतिमा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच स्थापित हो गयी है। प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान की प्रक्रिया के चौथे दिवस देश भर के 121 प्रकांड विद्वानों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शुरू किया। जहां गर्भगृह में श्याम वर्ण के पत्थर से निर्मित रामलला की मूर्ति स्थापित हो चुकी है वही दो दिन पूर्व मन्दिर के परिसर में भ्रमण कराई गई 10 किलो चांदी की प्रतिमा को भी गर्भगृह में रखा गया है। सभी अनुष्ठान इसी प्रतिमा से सम्पन्न कराए जा रहे है। इस तरह पूजन के लिए रामभक्तों के सामने गर्भगृह में दो प्रतिमाएं होंगी।

आपको बता दें कि काशी से पधारे आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित, अरुण दीक्षित, सुनील दीक्षित, अशोक वैदिक, पुरुषोत्तम वैदिक के अलावा महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु समेत देश के विभिन्न प्रांतो के 121 पंडितों ने प्रात:काल नौ बजे अरणिमन्थन से अग्नि प्रकट कराया। इसके पहले गणपति आदि स्थापित देवताओं का पूजन, द्वारपालों द्वारा सभी शाखाओं का वेदपारायण, देवप्रबोधन, औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास, कुण्डपूजन, पञ्चभूसंस्कार संपन्न हुआ।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला विग्रह को औषधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास और सायंकाल धान्याधिवास को मंत्रोच्चार के साथ सम्पन्न कराया जा रहा है। इस अनुष्ठान में काशी के श्रद्धेय गणेश शास्त्री, द्रविड़ एवं प्रमुख आचार्य श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित शामिल हैं। गौरतलब है कि मूर्तिकार अरुण योगीराज के द्वारा तराशी गयी 51 इंच की प्रतिमा श्याम रंग की है, जिसका वजन दो टन बताया गया है। ट्रस्ट के सूत्रों की माने तो 51 इंच वाली प्रतिमा का वजन दो टन होने के कारण सभी संस्कार उसके साथ किया जाना संभव नही है इसलिए चांदी की भी प्रतिमा को प्राण प्रतिष्ठित होने के लिए रखा गया है।
तो इसलिए प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व ढंके रहते है विग्रह भगवान की मूर्ति के नेत्र
अयोध्या के निर्माणाधीन राम मंदिर में भगवान की मूर्ति को उनके आसन पर स्थापित कर दिया गया है। हालांकि, भगवान की मूरत की आंखों को अभी ढका गया है। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही उनके चेहरे से यह परदा हटाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। धर्म के विद्वान इसके कई कारण बताते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा से पहले भगवान की मूर्तियों में चेहरे पर परदा रखना क्यों आवश्यक है। यह प्राचीन धार्मिक परंपरा भी है।

विद्वानों के अनुसार मंदिरों में भगवान की मूरत या प्रतिमा स्थापना के कई अनुष्ठान होते हैं। देवी-देवता की प्रतिमा स्थापना के बाद ही उसमें प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। तब तक मूरत का चेहरा परदे से ढंक दिया जाता है, जब तक प्राण प्रतिष्ठा न हो जाए। इस परम्परा के कई धार्मिक कारण होते हैं। दरअसल, आंखों को भावनाओं के संचरण का मार्ग माना जाता है। कहा जाता है कि हृदय का संवाद आंखों के जरिए ही होता है। ऐसे में एक मान्यता यह भी है कि अगर भक्ति-भाव से प्राण प्रतिष्ठा से पहले कोई भक्त भगवान की आंख में देर तक देख ले तो प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही भगवान प्रेम के वशीभूत होकर उसी भक्त के साथ चले जाते हैं।

इस वजह से प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही भगवान की आंखों को देखने की अनुमति मिलती है। तब तक उनकी आंखों को ढंककर रखा जाता है। एक अन्य कारण में शास्त्र बताते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा के समय शक्ति स्वरूप प्रकाश पुंज भगवान की मूरत में प्रवेश करती है। यह तेजस्वी शक्ति आंखों के माध्यम से ही बाहर निकलती है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद जब भगवान के नेत्र खोले जाते हैं तो उनकी आंखों से असीम शक्ति वाला यह तेज बाहर निकलता है। यही कारण है कि इस समय प्रभु को दर्पण दिखाया जाता है।
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