- महाराष्ट्र में बैंकिंग संकट : एक बड़े बैंक में हुई हड़ताल, एक दिन बंद रहीं 2500 शाखाएं, दूसरे बैंक में 122 करोड़ का घोटाला
- बैंक ऑफ महाराष्ट्र हड़ताल: देशभर में 2500 शाखाएं रहीं बंद, ग्राहकों को हुई परेशानी
- भोपाल सहित कई शहरों में गुरुवार को बैंकिंग सेवाएं रहीं प्रभावित
Banking crisis in Maharashtra : भोपाल : मुंबई। गुरुवार को बैंक ऑफ महाराष्ट्र की 2500 से अधिक शाखाएं बंद रहीं, जिससे हजारों ग्राहकों को परेशानी का सामना करना पड़ा। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल समेत देशभर में बैंकिंग सेवाएं ठप हो गईं। हड़ताल की वजह बैंक प्रबंधन की कथित तानाशाही और कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन बताया जा रहा है।
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क्यों हुई बैंक ऑफ महाराष्ट्र में हड़ताल?

ऑल इंडिया बैंक ऑफ महाराष्ट्र एम्प्लाइज फेडरेशन के आह्वान पर यह राष्ट्रव्यापी हड़ताल की गई। इसमें देशभर की 2500 शाखाओं के 5349 बैंक कर्मचारी शामिल हुए। कर्मचारियों का कहना है कि बैंक का कारोबार लगातार बढ़ रहा है, लेकिन स्टाफ की संख्या घटती जा रही है, जिससे काम का बोझ बढ़ गया है।
बैंक कर्मियों की मुख्य शिकायतें:
- पिछले 10 वर्षों में बैंक का कारोबार लगभग 300% बढ़ा, लेकिन कर्मचारियों की संख्या 40% तक घट गई।
- सरकार द्वारा जनधन योजना, जीवन सुरक्षा योजना, अटल पेंशन योजना, मुद्रा योजना जैसी कई योजनाएं लाई गई हैं, जिससे कार्यभार बढ़ गया है।
- सीमित स्टाफ होने के कारण ग्राहक सेवाओं पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
अगर कर्मचारियों की मांगों पर जल्द विचार नहीं किया गया, तो वे देशव्यापी आंदोलन तेज करने की चेतावनी भी दे रहे हैं।
बैंक कर्मचारियों की मुख्य मांगें
- बैंक में पर्याप्त संख्या में अधिकारियों, कर्मचारियों, चपरासियों और सफाई कर्मियों की भर्ती की जाए।
- मेजोरिटी यूनियन के साथ हुए समझौतों को ठीक तरीके से लागू किया जाए।
- बैंक कर्मचारियों को काम के दबाव से राहत देने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।
इस हड़ताल से न केवल बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हुई हैं, बल्कि ग्राहकों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
New India Cooperative Bank Scam: 122 करोड़ का घोटाला, जमाकर्ताओं को राहत की उम्मीद
जानिए कैसे हुआ घोटाला?
फरवरी में मुंबई के न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ था। इस मामले में बैंक के पूर्व महाप्रबंधक हितेश मेहता को मुख्य आरोपी बनाया गया है। आर्थिक अपराध शाखा ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन बैंक जमाकर्ताओं की चिंताएं अब भी बनी हुई हैं।
घोटाले के मुख्य बिंदु:
- यह घोटाला 2020 से 2025 के बीच हुआ।
- हितेश मेहता ने बैंक की तिजोरी का दुरुपयोग कर पैसे बाहर भेजे।
- दादर और गोरेगांव शाखाओं से गड़बड़ी की शिकायतें मिली थीं।
- आरबीआई की जांच में कैश बुक और बैंक रजिस्टर में भारी अनियमितताएं मिलीं।
अगर आरबीआई नकदी जांच नहीं करता, तो यह घोटाला कभी सामने नहीं आता।
जमाकर्ताओं की बढ़ी चिंता, RBI से हस्तक्षेप की मांग
घोटाले के उजागर होने के बाद आरबीआई ने बैंक पर वित्तीय लेनदेन पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे लाखों जमाकर्ताओं का पैसा फंस गया है। जमाकर्ताओं के संघ ने भारतीय रिजर्व बैंक से इस मामले में राहत देने की अपील की है।
आरबीआई ने उठाए ये कदम:
- बैंक के निदेशक मंडल को भंग कर दिया गया।
- प्रशासन संभालने के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया गया।
- बैंक पर वित्तीय लेनदेन करने पर प्रतिबंध लगाया गया।
बैंक घोटाले से जुड़े जमाकर्ता अब भी अपने पैसे की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और आरबीआई से उचित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
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