- बहराइच के कतर्नियाघाट में वर्ड वेटलैंड-डे और बर्ड फेस्टिवल का हुआ परम्परागत भव्य आयोजन
- प्रकृति संरक्षण की दिशा में एक अनूठी पहल
उवेश रहमान
बहराइच : उत्तर प्रदेश। जनपद बहराइच के कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में रविवार को वन विभाग द्वारा वर्ड वेटलैंड-डे और बर्ड फेस्टिवल का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम स्कूली बच्चों को पर्यावरण संरक्षण और पक्षी संरक्षण के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।
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बच्चों ने जाना वेटलैंड्स और पक्षियों का महत्व
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य वन संरक्षक पीपी सिंह की उपस्थिति में हुआ। कतर्नियाघाट रेंज के ईको अवेयरनेस सेंटर में आयोजित इस आयोजन में बच्चों के लिए जागरूकता कार्यक्रम और चित्रकला प्रतियोगिता रखी गई।
एसओएस टाइगर के अध्यक्ष फैज़ मोहम्मद खान ने शारदा सहायक परियोजना इंटर कॉलेज के छात्र-छात्राओं को पक्षियों की पहचान कराई और वर्ड वेटलैंड डे के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने बच्चों को बताया कि वेटलैंड्स (आर्द्रभूमि) जैव विविधता के संरक्षण में अहम भूमिका निभाती हैं और यह पक्षियों के लिए बेहद जरूरी स्थान होते हैं।
चित्रकला प्रतियोगिता में बच्चों ने दिखाया हुनर
इस अवसर पर स्कूली बच्चों ने वन संरक्षण और वेटलैंड्स पर आधारित पेंटिंग बनाई। उनकी कलाकृतियों को सराहा गया और वन विभाग द्वारा पुरस्कार भी प्रदान किए गए। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य बच्चों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना था।
वन्यजीव संरक्षण पर विशेष कार्यशाला
इसी कार्यक्रम के तहत लगभग 50 प्रशिक्षु वन रक्षकों के लिए एक कार्यशाला भी आयोजित की गई। इस कार्यशाला में वन विभाग और WWF (वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर) के विशेषज्ञों ने मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम पर जानकारी दी।
सम्मान और उत्साहवर्धन भी हुआ
कार्यक्रम के अंत में एसओएस टाइगर की ओर से प्रशिक्षु वन रक्षकों और स्कूली बच्चों को चाभी गुच्छा देकर सम्मानित किया गया, जिससे उनमें पर्यावरण संरक्षण के प्रति और अधिक रुचि उत्पन्न हो।
इस आयोजन में एसडीओ, रेंजर आशीष गौड़, वन दरोगा मयंक पांडे, विजय पांडे, अजय सिंह, योगेश सिंह, अन्नु शुक्ला, हीरालाल यादव, मोहम्मद आलमीन समेत कई वन विभाग के अधिकारी और स्थानीय लोग उपस्थित रहे।
आपको बताते चलें कि यह आयोजन पर्यावरण संरक्षण और पक्षी सरंक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। स्कूली बच्चों और वन रक्षकों को न केवल पक्षियों और वेटलैंड्स के महत्व के बारे में जानकारी दी गई, बल्कि उनके संरक्षण में भागीदारी की प्रेरणा भी मिली। इस तरह के आयोजन भविष्य में भी प्रकृति के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाने में सहायक सिद्ध होंगे।
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