- बहराइच में शीतलहर और कुहरे के बीच बेसिक विद्यालयों में बच्चों की दुर्दशा, ठिठुरते कांपते स्कूल जाने को मजबूर है बच्चे
- जिला अध्यक्ष “विद्या विलास पाठक”बोले तराई में कड़ाके की ठंड को देखते हुए स्कूलों में समय परिवर्तन के साथ कराई जाए अलाव की व्यवस्था
बहराइच। शीतलहर और घने कुहरे के बावजूद बहराइच के बेसिक विद्यालयों में छोटे बच्चों को स्कूल जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। न तो विद्यालय का समय बदला गया है और न ही ठंड से बचाव के लिए कोई व्यवस्था की गई है। ठिठुरते कांपते हुए बच्चे स्कूल जाने को मजबूर है, जलाने की व्यवस्था का भी अभाव है, जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है। जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष विद्या विलास पाठक ने तराई में कड़ाके की ठंड को देखते हुए स्कूलों के समय परिवर्तन के साथ अलाव की व्यवस्था की आवाज उठाई है।
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जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ की मांग: समय परिवर्तन के साथ अलाव की हो व्यवस्था
जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष विद्या विलास पाठक ने बताया कि वर्तमान में बेसिक शिक्षा परिषद के तहत लगभग 2 लाख छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं। बहराइच के विभिन्न क्षेत्रों जैसे मिहीपुरवा, शिवपुर, जरवल, और नवाबगंज में शीतलहर का प्रकोप अत्यधिक है।
बच्चों की दुर्दशा: अधूरे गर्म कपड़े और अलाव की गर्मी भी नहीं
शिक्षकों और अभिभावकों की चिंता
बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 25 से 30 जनवरी के बीच द्वितीय सत्र परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है। इस ठंड में छात्रों की उपस्थिति में गिरावट आई है, लेकिन विभाग ने 70% उपस्थिति अनिवार्य की है। ऐसे में, अगर बच्चों की तबीयत बिगड़ती है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?