UPKeBol : लखीमपुर-खीरी। गोला गोकरननाथ क्षेत्र में तीन साल पहले नगर के एक निजी अस्पताल में प्रसव के दौरान हुई विवाहिता की मौत के मामले में दर्ज कराई गई रिपोर्ट के बाद विवेचना पर महिला के पति ने सवाल खड़े कर दिए। इस पर कोर्ट ने विवेचना को निरस्त कर नई विवेचना के आदेश दिए हैं।
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तहसील क्षेत्र के ग्राम बिजुआ निवासी सत्यनारायण बाजपेई ने अपनी पत्नी रुचि को बेहतर इलाज के लिए 25 मई 2021 को शहर के मोहल्ला अर्जुन नगर कॉलोनी में अपनी ससुराल लेकर आया था। यहां अच्छे डॉक्टर को दिखाकर इलाज करना चाहता था।
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सत्यनारायण का कहना है कि इस बात की जानकारी आशा बहू सुमन देवी को हुई और सुमन देवी अपनी अन्य सहेली मोहिनी देवी के साथ उसकी ससुराल आई और ससुराल के लोगों को गुमराह करके उसकी पत्नी रुचि को इलाज कराने के बहाने गोला में लखीमपुर रोड पर माया हॉस्पिटल नामक एक निजी अस्पताल ले गई।
वहां के डॉ धर्मवीर ने सुमन देवी और मोहिनी देवी से सांठ गांठ कर तुरंत ऑपरेशन करने की बात कही और उनसे 30 हजार रुपये मांगे। उनके पास रुपए की व्यवस्था न होने पर बात 25 हजार रुपए में तय हो गई। उन्होंने 20 हजार रुपए तुरंत दे भी दिए।
सत्यनारायण का कहना है कि डॉ धर्मवीर ने बगैर कोई जांच कराए ही उनकी पत्नी रुचि का ऑपरेशन कर दिया। उसके बाद डॉक्टर ने बताया कि उसकी तबीयत बहुत खराब है। ढाई लाख रुपए की व्यवस्था करो। वह बहुत परेशान हो गए। बमुश्किल डेढ़ लाख की व्यवस्था कर पाए जिसे डॉक्टर को दे दिया। उनका कहना था कि उसके बाद गलत तरीके से उनकी पत्नी का ऑपरेशन किया गया जिससे उसकी जान चली गई।
वह रुपयों की व्यवस्था के लिए घर गया था । इसी बीच रात 1:30 बजे के करीब उन्हें फोन किया गया कि जल्दी आ जाए उनकी पत्नी की तबीयत बहुत खराब है। वह जब तक गोला पहुंचे तब तक मामले को छिपाने के लिए डॉक्टर ने आनन फानन में एंबुलेंस बुलाकर उनकी मृत पत्नी को एंबुलेंस में लाद दिया और कहा कि इन्हें लखनऊ दिखाओ।
यह बात उन्हें एंबुलेंस के चालक ने रास्ते में बताई। तब वह अपनी पत्नी को नेपालापुर सीतापुर के अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने कहा कि महिला की मौत काफी समय पहले हो चुकी है।
इस पर सत्यनारायण ने पुलिस को तहरीर दी। पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पीड़ित ने इस मामले में पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई संतोषजनक न किए जाने के बाद न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। न्यायालय के आदेश पर डॉक्टर, आशा बहू और उसकी सहेली के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी। जिसकी विवेचना में खेल कर दिया गया।
सत्यनारायण का आरोप है कि विवेचना में कोई साक्ष्य नहीं जुटाए गए, संबंधित लोगों से कोई पूछताछ नहीं हुई। कमरे में बैठकर सांठ गांठ के चलते विवेचना कर ली गई। जिस पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आदेश दिया कि 14 नवंबर 2021 को की गई विवेचना निरस्त की जाती है। प्रभारी निरीक्षक कोतवाली गोला को निर्देशित किया जाता है कि वह प्रस्तुत मामले में अग्रिम विवेचना कर आख्या न्यायालय में प्रेषित करें। कोर्ट के इस आदेश के बाद पुलिस को उल्टे पांव कोर्ट से पुनर्विवेचना के लिए लौटना पड़ा
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