Katarniaghat’s tree huts became exhibits : उवेश रहमान : बिछिया : बहराइच।कतर्नियाघाट सेंक्चुरी में सात साल पहले बने ट्री हट नुमाइस बनकर रह गए। 8-8 लाख की लागत से गेरूआ नदी के तट पर निर्मित कतर्नियाघाट के ट्री हट, अब जर्जर हो चुके हैं, लेकिन ट्री हट की स्थापना से आज तक बुकिंग की अनुमति ही नहीं मिली। ऐसे में कतर्नियाघाट आने वाले पर्यटक सिर्फ ट्री हट को निहार कर लौटने को मजबूर है। आज तक एक भी पर्यटक इस ट्री हट में एक रात नहीं बिता सका है।
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एक ट्री हट का निर्माण वर्ष 2015 व दूसरे का निर्माण वर्ष 2016 में हुआ था। इन दोनों ट्री हट के निर्माण पर अनुमानित लागत 8-8 लाख रुपए खर्च हुए, लेकिन बुकिंग न होने से वन विभाग के 16 लाख भी बर्बाद हो चुके हैं, बुकिंग न होने के लिए जिम्मेदार कौन है? यह तो विभाग जाने लेकिन आज भी ट्री हट में एक रात गुजारने के लिए पर्यटक बेताब रहते हैं, अगर वन विभाग इसकी बुकिंग शुरू करें तो विभाग को बेहतर आमदनी हो सकती है।
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आधा दर्जन थारू हट व अन्य कमरों की भी बुकिंग है बंद
बहराइच के कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार में पर्यटकों के ठहरने के लिए वन निगम के छह लेपर्ड व टाइगर कैम्प है जबकि वन विभाग के आधा दर्जन थारू हट व अन्य दर्जनों कमरों की स्थापना पर्यटकों की सुविधा के लिए की गयी थी। लेकिन वन विभाग के थारू हट व अन्य कमरों की भी बुकिंग बंद है। जबकि यह सभी कतर्नियाघाट रेंज में स्थापित होने के कारण पर्यटकों की पहली पसंद है।
गौरतलब हो कि ट्री हटों के निर्माण के कुछ वर्षों तक वन विभाग के थारू हटों व अन्य कमरों की बुकिंग चालू रही लेकिन ट्री हटों की बुकिंग नही खोली गई। इस मामले में वन क्षेत्राधिकारी अनूप कुमार ने बताया कि दोनों ट्री हट के निर्माण के बाद से विभागीय उच्च स्तर से कभी भी इसके बुकिंग की अनुमति नही मिल सकी। इसी कारण अब तक एक बार भी ट्री हट की बुकिंग नहीं हो सकी है।
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