- सुबह और शाम को अधिक होते वन्यजीवों के हमले : डब्ल्यूटीआई
UPKeBol : उवेश रहमान : बहराइच। डब्ल्यूटीआई की टीम ने बाघ और तेन्दुए के हमले से प्रभावित गाँवो का दौरा कर मुआयना किया। इस दौरान सुबह और शाम वन्य जीवों के अधिक हमलों की पुष्टि हुई। टीम ने प्रभावित गांव का दौरा करने के बाद कतर्नियाघाट अंतर्गत मुर्तिहा रेंज के गिरधारीपुरवा गांव में ग्रामीणों के साथ जागरूकता बैठक की। इस दौरान मानव-वन्यजीव संघर्ष कम करने और वन क्षेत्रों के निकट सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए वन्यजीव सुरक्षात्मक उपायों के मामले में ग्रामीणों को समझाया गया।
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डब्ल्यूटीआई फील्ड ऑफिसर श्रुति चौहान ने बताया कि इस क्षेत्र में कई तेंदुओं की लगातार आवाजाही रही है और जिस क्षेत्र में यह घटना हुई, उसके 10 मीटर के दायरे में लगभग 20 बकरियां बंधी हुई थीं। हैंडपंप बकरियों के बीच में था। ग्रामीण इन बकरियों को पास के जंगल में ले जाते हैं, जहाँ से जानवर बकरियों का पीछा करते हुए आ सकते हैं।
मुर्तिहा रेंज के पास के जंगल पर मवेशियों का दबाव बहुत अधिक है, जिसमें गैर-निरंतर वन क्षेत्र हैं। जागरूकता बैठक में उन्होंने “मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने और वन क्षेत्रों के निकट सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए वन्यजीव सुरक्षित सुरक्षात्मक उपायों” के महत्व को समझाया।
डब्ल्यूटीआई फील्ड ऑफिसर श्रुति चौहान ने कहा कि जांच में घटनाएं अधिकतर शाम और सुबह के समय होती हैं। गांवों के आसपास जंगल में छोटे बच्चों को सूर्यास्त के बाद बाहर नहीं भेजना चाहिए। हमारे बच्चे हमारी अपनी ज़िम्मेदारी हैं। ऐसी घटनाएँ कार दुर्घटनाओं से कम स्वाभाविक नहीं हैं जो कभी-कभार और कभी-कभार ही घटित होती हैं। मनुष्य किसी भी जंगली पशु प्रजाति के लिए मुख्य निर्वाह का हिस्सा नहीं है, वे मनुष्यों पर तब हमला करते हैं जब उन्हें अधिकतर खतरा महसूस होता है।
छोटे बच्चे कुत्ते या बछड़े से लम्बे नहीं होते हैं, जो उस जानवर के आकार का होता है उस पर तेंदुआ ज्यादातर हमला करता है। सावधानियों और सुरक्षा उपायों से हम अपने बच्चों की सुरक्षा कर सकते हैं। फील्ड ऑफिसर श्रुति चौहान ने कहा दोनों बच्चे सुरक्षित हैं। वन विभाग के समर्थन में डब्ल्यूटीआई प्रभावित परिवार और गांव की यथासंभव मदद करने का प्रयास करेगा। वन विभाग सक्रिय रूप से क्षेत्र में गश्त कर रहा है और नियमित जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है।
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