- अंतस में जो जाकर देखा, डूबा एक समंदर देखा, कद काठी में मुझ जैसा पर, परबत-सा कद्दावर देखा
- जनपद के साहित्यकारों ने भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष स्व. गुलाब चंद्र शुक्ल को दी श्रद्धांजलि
बहराइच। अखिल भारतीय साहित्य परिषद बहराइच द्वारा नगर में स्थित रामजानकी मंदिर, हमजापुरा में दो सत्रों में आदि शंकराचार्य की जयंती पर काव्य-गोष्ठी और भाजपा जिला बहराइच के पूर्व जिलाध्यक्ष गुलाब चंद्र शुक्ल के साहित्यिक एवं सामाजिक अवदान पर केंद्रित श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ।
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कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ अशोक “गुलशन” ने दिवंगत गुलाब चंद्र शुक्ल को केंद्र में रखते हुए अपनी बहुचर्चित रचना “पिता” पढ़ते हुए कहा कि “मेरे दिल की धड़कन थे वो थे मेरी ही जान पिता, हर विपदा के संहारक वो थे मेरी मुस्कान पिता।” साहित्य परिषद के जिलाध्यक्ष राधाकृष्ण पाठक ने कहा “हिंदुराष्ट्र संकल्प हमारा, आर्यावर्त बनाएंगे, गंगा, गीता, गाय सनातन, भगवाध्वज फहराएंगे|”
डॉ वेद मित्र शुक्ल ने अपने पिता को याद करते हुए पढ़ा “अंतस में जो जाकर देखा, डूबा एक समंदर देखा, कद काठी में मुझ जैसा पर, परबत-सा कद्दावर देखा।”
कार्यक्रम का संचालन जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार गुलाब चंद्र जायसवाल ने किया। श्री जायसवाल ने इस अवसर पर मतदान सहित अन्य सामाजिक विषयों से जोड़कर अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।
सभा को परिषद के नगर अध्यक्ष सुभाषित श्रीवास्तव, नगर महामन्त्री वीरेश पांडेय, डॉ वेद मित्र शुक्ल, अर्पण शुक्ल, राकेश दूबे कुणाल, पंडित योगेंद्र कुमार मिश्र, रुचि मटरेजा, प्रेम जलान, सुनील जी, गीतकार रवि गुलशन, मंजुला पाठक, ओमप्रकाश शुक्ल, सरजू प्रसाद मिश्र आदि ने भी काव्यपाठ सहित दिवंगत गुलाब चंद्र शुक्ल को श्रद्धांजलि देते हुए संबोधित किया।
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