- थारू जनजाति परिवारों को जंगल से लघु वन उपज के निस्तारण का सामुदायिक अधिकार मिले : जंग हिंदुस्तानी
- सामाजिक कार्यकर्ता ने मुख्यमंत्री को भेजा प्रस्ताव पत्र
Tharu tribal families should get community rights to dispose of minor forest produce from the forest: Jang Hindustan : उवेश रहमान : बिछिया : बहराइच। थारू जनजाति परिवारों को जंगल से लघु वन उपज के निस्तारण का सामुदायिक अधिकार अब तक नहीं मिला है, जबकि यह उनका मूलभूत अधिकार है यह बात सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी ने कही। सामाजिक कार्यकर्ता हिंदुस्तानी ने कहा कि थारू जनजाति परिवारों को उनका यह संवैधानिक अधिकार देना ही होगा।
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मुख्यमंत्री के नाम भेजे गए पत्र सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी ने कहा है कि जनपद बहराइच के मोतीपुर तहसील के अंतर्गत भारत नेपाल सीमा पर थारू जनजाति बाहुल्य चार ग्राम पंचायत क्रमशः बर्दिया, फकीरपुरी, आम्बा, विशुनापुर आदि सदियों पूर्व से बसे प्राचीन गांव हैं। 1864 में वन विभाग बनने के बाद यह गांव बहराइच वनप्रभाग में सम्मिलित कर लिए गए थे । बाद में 8 अप्रैल 1910 को इन सभी गांवों को राजस्व प्रबंधन में स्थानांतरित कर दिया गया था उस समय इनके परिवारों को व्यक्तिगत अधिकार के तहत कृषि एवं आवासीय भूमि पर अधिकार दिया गया था, किंतु सामुदायिक अधिकार प्राप्त नहीं हुआ था। सामुदायिक अधिकार न होने के कारण तथा संरक्षित क्षेत्र घोषित हो जाने के कारण थारू समुदाय के द्वारा वन उपज के निस्तारण पर अक्सर विवाद की स्थिति उत्पन्न होती रहती है।
सामाजिक कार्यकर्ता हिंदुस्तानी ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुसार आदिवासी समुदाय को उनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अधिकारों का सम्मान और सुरक्षा प्राप्त होना चाहिए। वन अधिकार कानून 2006 के तहत, आदिवासियों को उनके सामुदायिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपाय किए गए हैं। हमारा प्रस्ताव है कि इस कानून के तहत आदिवासियों को जंगल में जाने, जलौनी लाने, पशु चराने, मछली पकड़ने और जड़ी बूटी लाने का पूरा अधिकार प्रदान किया जाना चाहिए।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजे गए प्रस्ताव पत्र के मुख्य बिंदु:
1. जंगल में जाने का अधिकार: आदिवासी समुदाय को उनके पारंपरिक जीवनशैली को बनाए रखने के लिए जंगल में जाने का पूरा अधिकार होना चाहिए। यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और उन्हें इसका लाभ उठाना चाहिए।
2. जलौनी लाने का अधिकार: जलौनी एक महत्वपूर्ण स्रोत है जो आदिवासी समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए, उन्हें जलौनी लाने का पूरा अधिकार होना चाहिए ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके।
3. पशु चराने का अधिकार: आदिवासी समुदाय के लिए पशु चराना एक पारंपरिक गतिविधि है जो उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसलिए, उन्हें इसका पूरा अधिकार होना चाहिए।
4. मछली पकड़ने का अधिकार: जल स्रोतों से मछली पकड़ना आदिवासी समुदाय के लिए एक मुख्य आजीविका स्रोत है। इसलिए, उन्हें मछली पकड़ने का पूरा अधिकार होना चाहिए।
5. जड़ी बूटी लाने का अधिकार: जड़ी बूटियों का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण है और आदिवासी समुदाय के लिए एक मुख्य आयुर्वेदिक औषधि स्रोत है। इसलिए, उन्हें जड़ी बूटी लाने का पूरा अधिकार होना चाहिए।