UPKeBol : बहराइच। बहराइच नगर स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा पीपल चौराहे पर हिंद की चादर, सिखों के नवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत पर विशेष कीर्तन दरबार सजाया गया, अटूट श्रद्धा से गुरु का शहीदी पर्व मनाया गया और सैकड़ों श्रद्धालुओं ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का माथा टेक कर सुख समृद्धि की कामना की। इस दौरान वाहेगुरु के जयकारों से गुरुद्वारा परिसर गूँजता रहा।
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शिरोमणि गुरुद्वारा अमृतसर से प्रचारक ज्ञानी जगजीत सिंह जी ने संगत को इतिहास बताया कि गुरु तेग बहादुर, गुरु हरगोबिंद साहिब के सबसे छोटे बेटे थे, इन्हें ‘हिंद की चादर’ के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने हिंदू धर्म को बचाने और धर्मांतरण के लिए मुगल शासक औरंगजेब का विरोध किया था। उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपना सिर कटवा दिया, किन्तु धर्मांतरण स्वीकार नहीं किया। 1675 ईसवीं में गुरु साहिब के शीश को दिल्ली के चांदनी चौक में औरंजेब ने धड़ से अलग कर दिया था।
हजूरी रागी फतेह सिंह जी ने कीर्तन से संगत को निहाल किया और हेड ग्रंथी ज्ञानी विक्रम सिंह ने सरबत के भले की अरदास की उसके बाद गुरु का अटूट लंगर चला। इस दौरान काफी संख्या में सिख श्रद्धालु लंगर की सेवा में लगे रहे।
इस मौके पर संरक्षक मंजीत सिंह शम्पी, अध्यक्ष मंदीप सिंह वालिया, महामंत्री भूपेंद्र सिंह, जगनदंन सिंह, देवेन्द्र सिंह बेदी, उपाध्यक्ष परमजीत सिंह, जगजीत सिंह, डॉ बलमीत कौर, गुरमीत सिंह, आत्मजीत सिंह, मीडिया प्रभारी परविंदर सिंह सम्मी, हरजीत कौर, बलजीत कौर, पवनप्रीत, रविंदर सिंह समेत सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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