UPKeBol : सीतापुर। पितृविसर्जनी अमावस्या के साथ ही शनिवार को पितृपक्ष का समापन हो गया। इस मौके पर श्रद्धालुओं ने बड़े ही आदर और श्रद्धा भाव से पितरों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान कर विदा किया। विशेष पर्व पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने तीर्थ में स्नान किया।
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पौराणिक नैमिषारण्य चक्रतीर्थ एवं राजघाट गोमती पर प्रातः काल से ही स्नानार्थियों ने डेरा डाल लिया और स्नान के बाद भजन पूजन किया। सुबह 4 बजे से ही तीर्थ व गोमती में स्नान करने की होड़ रही।
नाभिगया नैमिषारण्य में श्रद्धालुओं ने पितरों के लिए पूजन अर्चन किया । तीर्थपुरोहितों के सानिध्य में श्रद्धालुओं ने पितरों को पिंडदान एवं तर्पण कर पितरों को विदा किया। तीर्थ व गोमती के तट पर पुरोहितों को दक्षिणा एवं अन्न भेंट कर आशीर्वाद लिया।
इसके उपरांत प्रमुख दर्शनीय स्थलों ललिता देवी मंदिर, कालीपीठ, हनुमान गढ़ी, सूत गद्दी, व्यासगद्दी, देवपुरी मंदिर, बाला जी मंदिर, देवदेवेश्वर महाकाली मनसा देवी मंदिर समेत अनेक मंदिरों में माथा टेका एवं मनौतियां मांगी। सुबह से आरम्भ हुआ स्नान दान का क्रम देर शाम तक चलता रहा। इस दौरान नगर के प्रसिद्ध शिव मन्दिरों में पूरे दिन भक्तो द्वारा पूजा पाठ अनुष्ठानो का दौर चलता रहा ।
“तीर्थ पर पिंडदान एवं तर्पण कर विदा किये पितृ”
नाभि गया नैमिषारण्य में पूरे पितृपक्ष भर भारी भीड़ रही। जिसमे वंशजो ने अपने पितरों को बड़ी श्रद्धा एवं आस्था से याद किया। इसके साथ ही उनकी मुक्ति के लिए चक्रतीर्थ, काशीकुण्ड, आदिगंगा गोमती तट पर पिंडदान, तर्पण, नारायण बलि समेत अनेक कर्मों को किया।
शनिवार को अमावस्या होने के कारण सभी तीर्थों पर यात्री और श्रद्धालु पिंडदान करते दिखे। बातचीत में लोगों ने बताया कि नैमिष में पिंडदान करने से अक्षय तृप्ति होती है इसलिए हम यहां पिंडदान करने आये हैं ।
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