- बहराइच में हाथियों के हमले पर अंकुश के लिए बनेंगे पक्के मचान, भारत नेपाल हाथी मानव संघर्ष ग्रुप से जुड़ेंगे गांव के लोग
Permanent scaffolding will be built to control elephant attacks in Bahraich : उवेश रहमान : बिछिया : बहराइच। यूपी के बहराइच जिला अंतर्गत कतर्नियाघाट सेंक्चुरी में हाथियों के हमले पर अंकुश के लिए शनिवार को मंथन के लिए जागरूकता गोष्ठी आयोजित हुई। इस दौरान हाथियों के हमले से लोगों को अलर्ट करने और बचाने के लिए हाथी के हमला प्रभावित क्षेत्रों में पक्के मचान बनाने के साथ ही भारत-नेपाल के सीमावर्ती गांव के ग्रामीणों का ह्वाॉट्सऐप ग्रुप बनाने पर मंथन हुआ। ग्रामीणों ने गोले पटाखे समेत अन्य संसाधनों की आवश्यकता भी जताई।
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हाथी-मानव संघर्ष रोकने के उपायों पर मंथन के लिए शनिवार को जागरूकता गोष्ठी का आयोजन ग्राम सुजौली में हुआ। जागरूकता गोष्ठी हाथी के हमला प्रभावित ग्राम अयोध्यापुरवा, घुरेपुरवा, त्रिलोकी गौढ़ी, टेपरा, सिरसियनपुरवा, बड़खड़िया और भैंसाही के ग्रामीणों ने प्रतिभाग किया। ग्राम प्रधान सुजौली राजेश कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित बैठक का संचालन डब्लूडब्लूएफ (इंडिया) के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी श्री दबीर हसन ने किया तथा विशिष्ट अतिथि प्रमोद आर्य, भारत विकास परिषद् रहे।
जागरूकता गोष्ठी में क्षेत्रीय वनाधिकारी सुजौली श्री रोहित कुमार यादव और क्षेत्रीय वनाधिकारी कतर्नियाघाट श्री अनूप कुमार उपस्थित रहे। बैठक में स्थानीय किसानों से एनटीटी डाटा प्रोजेक्ट के अंतर्गत विभिन्न क्रियाकलापों पर चर्चा की गयी। हाथी के हमले के दौरान निगरानी और ग्रामीणों को अलर्ट करने के लिए पक्के मचान और भारत-नेपाल हाथी मानव संघर्ष ग्रुप सोशल मीडिया पर बनाने पर विशेष रूप से चर्चा हुई।
ग्रामीणों ने बताया कि जब हाथियों का झुंड खेतो में आता है तो ग्रामीण भगाने जाते है तब उनको गोले-पटाखे तथा टॉर्च-मशाल आदि की जरूरत होती है इसलिए यह संसाधन उपलब्ध कराए जाए। सभी लोग इस बात पर सहमत हुए की भारत व नेपाल के स्थानीय समुदाय जो खाता कारीडोर के समीप गांवों में रहते हैं उनका और संरक्षण संस्थाओं तथा अधिकारियों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाए जिससे हाथियों के मूवमेंट की सूचना समय से प्रसारित की जा सके।
बैठक में क्षेत्रीय ग्रामीणों ने अपनी समास्याओं को वन अधिकारियों के समक्ष रखा और विशेष रूप से मुआवजे में देरी पर आक्रोश जताया। सुजौली हरखापुर मार्ग न बनने के कारण हो रही परेशानी को लोगों ने रखा, बताया कि उनको बहुत जंगल पार कर जाना पड़ता है यदि यह मार्ग बन जाए तो अधिकांश आबादी को राहत मिल जाए। क्षेत्रीय वनाधिकारी कतर्नियाघाट और सुजौली ने समस्याओं को सुनकर निस्तारण का आश्वासन दिया।
डब्लूडब्लूएफ (इंडिया) के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी दबीर हसन ने ग्रामीणों को हाथियों से बचाव के लिए सुझाव दिया तथा बताया क्या करें, क्या न करें इस पर विस्तार से चर्चा हुई।उन्होंने कहा कि जागरूकता उपायों को प्रत्येक घर तक पहुंचाना है जिससे हाथी के हमले के दौरान जनहानि कम किया जा सके। इस मौके पर लोगों को हाथी संरक्षण पर डॉक्यूमेंट्री भी दिखायी गयी।
जागरूकता कार्यक्रम में ईको विकास समिति अध्यक्ष जंगल गुलरिहा छोटेलाल, बाघ मित्र संदीप सिंह, भूपेंद्र सिंह, वन दरोगा अनिल कुमार, फील्ड सहायक मंसूर अली, न्यूज संस्था के रजा हसन समेत कई गणमान्य और किसान उपस्थित रहे।
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