- बहराइच में कटान निरोधक कार्य में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, मानकों की हो रही अनदेखी, टूटे-फूटे घटिया पिलर का किया जा रहा इस्तेमाल… देखें Video
- परक्यूपाइन परियोजना का लाखों करोड़ों का बजट हो रहा बर्बाद
- हाल यह है कि परक्यूपॉइन के जर्जर पिलर शायद नदी की लहरों के एक थपेड़े भी न झेल पाएं
उवेश रहमान : बिछिया : बहराइच। आसन्न बाढ़ के संकट से निपटने और घाघरा नदी की कटान को रोकने के लिए बहराइच के सुजौली क्षेत्र के कटान प्रभावित गांवों में सरयू ड्रेनेज खंड प्रथम नानपारा को कटान निरोधक कार्य करवाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। लेकिन परियोजना शुरुआती दौर में ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। मानकों की अनदेखी कर टूटे-फूटे घटिया पिलर का इस्तेमाल कटान निरोधक परक्यूपाइन परियोजना में किया जा रहा है। जिसके चलते न सिर्फ लाखों करोड़ों का बजट बर्बाद हो रहा है बल्कि कटान कैसे रुकेगी इस पर भी सवाल उठने लगे हैं। हाल यह है कि परक्यूपॉइन के जर्जर पिलर शायद नदी की लहरों के एक थपेड़े भी न झेल पाएं।
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आपको बताते चलें कि जनपद बहराइच के थाना सुजौली क्षेत्र के कटान प्रभावित गांवों में ग्रामीणों की जमीनें कटान से रोकने के लिए और आगामी बाढ़ के संकट से ग्रामीणों को बचाने के लिए सरयू ड्रेनेज खंड प्रथम नानपारा को कटान निरोधक कार्य करवाने की जिम्मेदारी सौंप गई है, लेकिन इसकी जिम्मेदारी संभालने वाले जिम्मेदारों की लापरवाही का आलम यह है कि मानकों की अनदेखी से कटान निरोधक इस परियोजना से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की बू आ रही है।
भ्रष्टाचार का यह खेल तहसील मिहीपुरवा के थाना सुजौली क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत चहलवा, बरखड़िया, सुजौली और जंगल गुलरिया के एक दर्जन से अधिक कटान प्रभावित गांव की आड़ में खेला जा रहा है। प्रतिवर्ष घाघरा नदी के बाढ़ और कटान से प्रभावित होने वाले इन गाँवों को बरसात के पूर्व सुरक्षित करने के लिए घाघरा नदी के किनारे पॉर्क्युपाइन परियोजना को मंजूरी दी गई है।
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परियोजना को अमली जामा पहनाने की जिम्मेदारी सरयू ड्रेनेज खंड प्रथम नानपारा को मिली है। कटान निरोधक कार्य शुरू भी हो गया है। लेकिन परक्यूपाइन बनाने के स्तेमाल में लाए जाने वाले पिलर पूरी तरह टूटेफूटे, डैमेज और घटिया हैं। पिलर निर्माण में वाइब्रेटर का इस्तेमाल भी नही किया जा रहा है साथ ही पूरे कार्य में मानकों की अनदेखी की जा रही है।
नदी के किनारे लगाए जा रहे जर्जर पिलर को देखकर लग रहा है कि यह पिलर घाघरा नदी की लहरों के एक थपेड़े भी नहीं झेल पाएंगे।घटिया कार्य से क्षेत्रीय ग्रामीणों में आक्रोश है। लोगों ने इसकी शिकायत जन प्रतिनिधियों से की है। लोगों का कहना है कि कार्यस्थल पर जेई की गैरमौजूदगी भी रहती है।
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उधर परियोजना की बदहाली देखने के बाद मामले में कार्य का बजट व कार्य से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए जेई अजय वर्मा को फोन किया गया तो उन्होंने जानकारी देने से इनकार करते हुए मौके पर पहुँचकर बात करने को कहा।