- बहराइच में हाइब्रिड चूल्हा (स्मोकलेस) से श्वांस संबंधी बीमारियों से मिलेगी महिलाओ को निजात
Women will get relief from respiratory diseases with hybrid chulha (smokeless) in Bahraich : उवेश रहमान : बिछिया : बहराइच। यूपी के बहराइच जिले का अधिकांश क्षेत्र जंगल से आच्छादित होने के कारण खाना बनाने में लकड़ी का प्रयोग अधिक होता है। इससे बहराइच में जंगल के आसपास निवास करने वाले परिवारों की महिलाएं धुएं की बीमारियों का शिकार होती है। लेकिन अब महिलाओं को स्मोकलेस चूल्हे की सौगात मिलेगी, इस चूल्हे के प्रयोग से धुएं संबंधी बीमारियों से तो निजात मिलेगी ही लकड़ी की निर्भरता पर भी कमी आएगी और घर भी स्वच्छ रहेगा। न्यूज़ संस्था के विशेषज्ञों की टीम ग्रामीणों को स्मोकलेस चूल्हे के निर्माण का टिप्स देंगे।
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कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के आसपास गाँवो की अधिकतर आबादी जंगल पर निर्भर है ग्रामीण पूरे दिन जंगल से लकड़ियां लाते है तब जाकर उनके घरों में चूल्हा जलता है चूल्हे में लकड़ी डालकर खाना बनाने इन महिलाओं को श्वांस जैसी गंभीर बीमारियों से जूझना पड़ता है। जिससे इन महिलाओं के आंखों पर भी असर पड़ता है लकड़ी पर निर्भरता को कम करने तथा महिलाओ को बीमारियों से बचाने के लिए न्यूज़ संस्था आगे आयी है संस्था के बेयोलॉजिस्ट सितांशु दास और प्रोजेक्ट मैनेजर अभिषेक ने पहल की है।
न्यूज़ संस्था के बेयोलॉजिस्ट सितांशु दास और प्रोजेक्ट मैनेजर अभिषेक ने बताया कि भवानीपुर, आम्बा, बिशुनापुर, रमपुरवा, फ़कीरपुरी, बर्दिया, मटेही, आजमगढ़पुरवा, लोहरा, कोहली, हरैय्या गांवों में ग्रामीण महिलाओ को हाईब्रिड चूल्हा (स्मोकलेस चूल्हा) बनाने के टिप्स देंगे। यह एक प्रकार का ऐसा चूल्हा होता है जिसमे लकड़ी का उपयोग कुछ हद तक कम हो जाता है।
इस स्मोकलेस चूल्हे में 60 प्रतिशत लकड़ी का इस्तेमाल होता है इसमें दो तरह के चूल्हे होते है जिस्में गर्म आंच आती है और दूसरे में ठंडी आंच आती है। घरों में धुंआ न फैले इसकी भी सुविधा इसमें रहती है। घर पर जो महिलाएं खाना बनाती है उनको श्वांस संबंधी बीमारियों भी कम होती है आंखों में जलन भी नही होती है। कार्बन उत्सर्जन भी कम होता है आम तौर आग का रंग ओरेंज होता है जबकि इसमें नीला ज़्यादातर हो जाता है। इसमें लगभग 25 ईंटों का इस्तेमाल होता है। लकड़ी पर निर्भरता कम होने से मानव और वन्य जीव के मध्य आए दिन होने वाले संघर्ष का भी ग्राफ कम होगा।
कतर्नियाघाट में होगा बिहार के सुंदर वन का प्रयोग
न्यूज़ संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिषेक बताते है कि हाईब्रिड चूल्हे से 40 प्रतिशत लकड़ी पर निर्भरता कम होगी महिलाएं बीमारियों से बची रहेंगी। बिहार के सुंदर वन में जहां पर लकड़ियों की काफी कमी रहती है वहां पर ग्रामीण महिलाएं इस प्रकार के चूल्हों का इस्तेमाल करती है। उसी तकनीक का इस्तेमाल हम लोग कतर्नियाघाट के जंगल से सटे आबादी में करना चाहते है इसके लिए विशेषज्ञों की टीम महिलाओ को प्रशिक्षित करेगी।