लखनऊ। यूपी के विभिन्न विभागों में तैनात संविदा कर्मी बरसों से अपने नियमितीकरण के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही, अब जब लोकसभा चुनाव नजदीक है ऐसे में नाराज संविदा कर्मियों को पाले में करने के लिए यूपी सरकार जुगाड़ करने पर जुट गई है, शासन ने प्रदेश के विभिन्न विभागों में तैनात संविदा कर्मियों की सूची एक सप्ताह में तलब की है, मुख्यमंत्री के आदेश पर यह सूची सभी विभागों से मांगी गई है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि शायद संविदा कर्मियों को लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले नियमितीकरण का तोहफा मिल जाए। शासन के सूत्र भी बता रहे हैं कि संविदा कर्मियों को उनके मूल पद पर ही नियमित करने की तैयारी अंदर खाने में चल रही है।
प्रदेश के शिक्षा विभाग, बाल विकास, पुलिस, पंचायत राज, रोडवेज, निकाय आदि विभागों में लाखों संविदा कर्मी वर्षों से मामूली वेतन पर काम कर रहे हैं। कई बार इन संविदा कर्मियों ने अपनी आवाज भी उठाई लेकिन उनकी आवाज को कुचल दिया गया। सबसे बदतर स्थिति प्रदेश के शिक्षामित्रों की है। यूपी के प्राथमिक विद्यालयों में बरसों से तैनात डेढ़ लाख से अधिक शिक्षा मित्र पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के शासनकाल में नियमित हुए लेकिन कोर्ट के बहाने उन्हें फिर मूल पद पर वापस कर दिया गया। महज 10000 में शिक्षामित्र जैसे तैसे अपने परिवार का खर्च चला रहे हैं। आर्थिक तंगी के चलते कई हजार शिक्षा मित्र अब तक जान भी दे चुके हैं।
अन्य विभागों के संविदा कर्मी भी आर्थिक बदहाली के शिकार है, सरकार की हठवादी नीति के चलते यह संविदा कर्मी न सिर्फ अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं बल्कि सरकार की नीतियों से भी गुस्सा है।
ऐसे में वर्षों तक उपेक्षित करने के बाद अब सरकार ने इन संविदा कर्मियों की सुधि ली है। शासन में कार्मिक विभाग के विशेष सचिव राजेंद्र सिंह मौर्य ने इस मामले में सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव एवं सचिवों को भेज गए पत्र में कहा गया है कि सभी विभागों, आयोग, निगम तथा परिषदों में संविदा पर तैनात कर्मचारियों की वर्गवार सूची आरक्षणवार संख्या एक सप्ताह के अंदर सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ भेजें।
शासन के कार्मिक विभाग के इस पत्र के बाद सभी विभागों में हलचल बढ़ गयी है। शासन के सूत्रों का कहना है कि सभी विभागों के संविदा कर्मियों को उनके मूल पद पर ही नियमित करने की सुगबुगाहट अंदरखाने में है। माना जा रहा है योगी सरकार चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले संविदा कर्मचारियों की उम्मीदों को पंख दे सकती है।
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