- भवानीपुर राजस्व गांव में 50 से अधिक ग्रामीणों के शौचालय आवेदन खारिज, मजबूरी में खुले में शौच… देखें Video
- ग्रामीण नाराज, सुविधाओं का अभाव, मुख्यमंत्री पर अनदेखी का आरोप
उवेश रहमान : बहराइच। बहराइच जिले के राजस्व गांव भवानीपुर में सुविधाओं की कमी ने ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। 2023 में मुख्यमंत्री द्वारा भवानीपुर को राजस्व गांव घोषित किए जाने के बावजूद, बुनियादी सुविधाओं की कमी ने यहां के लोगों को नाराज कर रखा है। नाली, खड़ंजा, आरसीसी सड़क, इंटरलॉकिंग, शौचालय, बिजली और शुद्ध पेयजल जैसी आवश्यक सुविधाएं गांव में अब तक उपलब्ध नहीं हो पाई हैं।
शौचालय सुविधा की बात करें तो गांव के 50 से अधिक ग्रामीणों के शौचालय निर्माण के लिए किए गए आवेदन हाल ही में खारिज कर दिए गए। इसके चलते लोग अब भी खुले में शौच करने को मजबूर हैं। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब गांव के लोग जंगल के किनारे खुले में शौच करते हैं, जहां सुरक्षा की भी चिंता बनी रहती है।
मुख्यमंत्री पर वादाखिलाफी का आरोप
ग्रामीणों का कहना है कि 2023 में भवानीपुर को राजस्व गांव घोषित करने के वक्त मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि जल्द ही यहां विकास कार्य किए जाएंगे। लेकिन अब तक इन वादों पर अमल होता नहीं दिख रहा। सुविधाओं की कमी और सरकारी योजनाओं के लाभ न मिलने से गांव के लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। नाराज ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही स्थिति नहीं बदली, तो उन्हें बड़े स्तर पर आंदोलन करना पड़ सकता है।
विकास की जरूरत, सरकारी उदासीनता पर सवाल
भवानीपुर में विकास कार्यों का अभाव केवल शौचालय तक सीमित नहीं है। गांव में सड़कें टूटी हुई हैं, नालियों का अभाव है, और पीने का पानी भी दूषित होता है। बिजली की आपूर्ति भी अनियमित है। ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार द्वारा किए गए वादे महज चुनावी घोषणाएं बनकर रह गए हैं।
सरकारी तंत्र की लापरवाही ने लोगों को मजबूर कर दिया है कि वे अपनी जरूरतों के लिए बार-बार सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगाएं, लेकिन उनके हाथ सिर्फ निराशा ही लगती है। गांव के बुजुर्ग रामलाल का कहना है, “सरकार ने तो बस नाम दिया, सुविधाओं का क्या? यहां विकास कब होगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं।”
सरकार से उम्मीदें, ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि वे जल्द से जल्द भवानीपुर में विकास कार्यों की शुरुआत करें और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराएं। अगर सरकार इस ओर ध्यान नहीं देती, तो गांव के लोग अपनी आवाज उठाने को मजबूर होंगे।