- बहराइच के रिसिया नगर पंचायत के विकास कार्यों में खेला जा रहा कमीशन-कमीशन का खेल
- 41 प्रतिशत कमीशन पर हो रहा रिसिया नगर पंचायत का विकास
- विकास कार्यों में कमीशन बंटवारे का आडियो सोशल मीडिया पर हुआ वायरल
The game of commission is being played in the development works of Risia Nagar Panchayat of Bahraich : अमित शर्मा : रिसिया : बहराइच। जिले की व्यावसायिक नगरी में शुमार रिसिया नगर पंचायत मे भ्रष्टाचार की जड़े इस तरह से जम गई है कि अब तो विकास कार्यों में कमीशनखोरी भी खुले आम हो रही है। सोशल मीडिया पर वायरल एक आडियो मे कमीशन का जिक्र हो रहा है, जिसमे दो व्यक्ति आपस मे कमीशन को लेकर बात कर रहे है। वायरल आडियो मे 41 प्रतिशत कमीशन देने की बात की जा रही है। और इसमे चेयरमैन, ईओ, जेई, ऐई सहित कई अन्य लोगो के नाम का उल्लेख किया गया है। अब यह समझना कितना आसान है की सौ रूपये के काम मे यदि 41 रूपये कमीशन मे बंट जायेगा तो उस कार्य की गुणवत्ता कैसी होगी यह आप सहज ही अंदाजा लगा सकते है।
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इसके अतिरिक्त जब व्यक्ति ने ठेकेदार से पूछा की सभासद का कितने प्रतिशत कमीशन होता है तो ठेकेदार ने बताया की जो 16 प्रतिशत कमीशन चेयरमैन को दिया जाता है उसी मे सभासद का भी कमीशन जुड़ा होता है, इस पर दूसरे व्यक्ति ने ठेकेदार से कहा की 5 प्रतिशत कमीशन सभासदों का भी होता है।
इसके अतिरिक्त ठेकेदार ने पुराने चेयरमैन का भी उल्लेख किया। उसने कहा की यही प्रक्रिया पूर्व चेयरमैन के कार्यकाल मे भी चल रही थी। अब आप सहज ही अंदाजा लगा सकते है की कमीशनखोरी व भ्रष्टाचार की जड़ नगर पंचायत रिसिया में किस तरह से जमी हुई है, एक पूरी चेन ही विकास कार्यों के लिए आए धन को कमीशन के रूप में हड़प रहा है।
ऐसे होता है कमीशन का खेल
अब आप को सीधी भाषा मे समझाते है की कैसे होता है नगर पंचायत मे कमीशनखोरी का खेल। 100 रूपये के कार्य मे टोटल 41 प्रतिशत कमीशन बंट जाता है और उसके बाद जो बचता उससे निर्माण व अन्य विकास कार्य कराये जाते है। तो सवाल यह उठता है मात्र 59 रूपये किस तरह का विकास व निर्माण कार्य कराया जायेगा और उसकी गुणवत्ता क्या होगी आप सहज ही अंदाजा लगा सकते है।
विवादों से रिसिया नगर पंचायत का है पुराना नाता
रिसिया नगर पंचायत का विवादों से पुराना नाता रहा है पूर्व मे भी टेंडर प्रक्रिया को लेकर काफी विवाद उठा था, जिसमे एक ही टेंडर को दो बार प्रकाशित करा दिया गया था। जबकि जो टेंडर दोबारा निकाला गया था, उसका कार्य पूर्ण हो चुका था और फाईल भी भुगतान के लिये चली गई थी। बाद मे जब प्रशासन को इसकी भनक लगी तो आनन फानन मे उस टेंडर प्रक्रिया को रद्द कर जिम्मेदारों ने किनारा कस लिया था।