हरदोई। नर्सिंग होम में किए गए सीजर ऑपरेशन के बाद प्रसूता की हालत बिगड़ गयी, जिस पर उसे दर्द का इंजेक्शन लगाया गया। लेकिन इंजेक्शन लगने के कुछ ही देर बाद ही प्रसूता की मौत हो गई, फिर भी नर्सिंग होम के डाक्टरों ने परिजनों को भ्रमित कर महिला के शव को लखनऊ रेफर कर दिया। लखनऊ पहुंच कर परिजनों को पता चला कि उसकी कई घंटे पहले ही मौत हो चुकी थी। वहां से शव ले कर लौटे घर वाले नर्सिंग होम पहुंचें, जहां ताला पड़ा हुआ था। इस पर वहां हंगामा खड़ा हो गया। पुलिस ने शव को अपने कब्ज़े में लेते हुए जांच शुरू कर दी है।
आपको बताते चलें कि बुधवार को कोतवाली देहात के कौढ़ा गांव निवासी नौशाद प्रसव पीड़ा होने पर अपनी पत्नी स्वालिहा को ले कर ज़िला महिला अस्पताल पहुंचा। जैसा कि बताया गया है कि महिला अस्पताल में उसे उर्मिला नाम की महिला मिली, जिसने अपने को आशा बहू बताया। उस महिला ने कहा कि सीडीओ बंगले के सामने कैनाल रोड पर नर्सिंग होम है, जहां 13 हज़ार रुपये में नार्मल डिलीवरी हो जाएगी। परिवार के लोग उस महिला के झांसे में आ कर स्वालिहा को महिला के बताए नर्सिंग होम में ले कर पहुंचे, वहां सारी जांचें कराने के बाद डॉक्टर ने खून की कमी बताते हुए आपरेशन के लिए और ब्लड की डिमांड महिला के परिजनों से की।
ब्लड और अन्य खर्च के नाम पर 25 हज़ार रुपये जमा करने के बाद स्वालिहा का सीजर अॉपरेशन किया गया, लेकिन अॉपरेशन के बाद उसकी हालत और भी बिगड़ गई। स्वालिहा की मां मोलीसला ने बताया कि आपरेशन के कुछ ही देर बाद उसकी बेटी की सांसें थम गई थी, लेकिन फिर भी डाक्टरों ने उसे गंभीर बताते हुए लखनऊ के लिए रिफर कर दिया। परेशान हाल परिजन जब लखनऊ पहुंचे तो पता चला कि कई घंटे पहले ही स्वालिहा की मौत हो चुकी थी। वह लोग सिर्फ शव को लेकर टहल रहे हैं। यह सुन परिजन सन्न रह गए।
लखनऊ से लौट कर आए उसके घर वाले शव ले कर जब नर्सिंग होम पहुंचें, तो वहां ताला लगा हुआ था। जिस पर परिजन भड़क उठे, हंगामा होने लगा। सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने शव को अपने कब्ज़े में लेते हुए जांच शुरू कर दी है। कोतवाली शहर के एसएचओ संजय पाण्डेय ने बताया है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। रिपोर्ट मिलते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
काग़ज़ो पर बंद चल रहा है नर्सिंग होम!
हरदोई शहर के जिस नर्सिंग होम में इंजेक्शन लगने के बाद प्रसूता स्वालिहा की मौत हुई है, उस नर्सिंग होम को काफी पहले सीज़ किया जा चुका है। बताते चलें कि सीडीओ बंगले के ठीक सामने इसी नर्सिंग होम में साल 2021 और 2022 में गर्भवती या प्रसूता की मौत हो चुकी थी। उसके बाद ही की गई कार्रवाई के चलते उस नर्सिंग होम को सीज़ किया गया था। लेकिन फिर भी उसी नर्सिंग होम में इस तरह खुलेआम मौत बांटी जा रही है।
मौत होते ही बदल दिए जाते हैं नाम
स्वास्थ्य महकमें के ज़िम्मदारों के रहमो-करम पर शहर में न जाने कितने फर्ज़ी नर्सिंग होम चल रहे हैं। जिस नर्सिंग होम में प्रसूता की मौत हुई,साल 2022 में उसका नाम ऐवन हास्पिटल रखा गया था, लेकिन वहां लापरवाही के चलते हुई मौत के बाद उसे न्यू ऐवन हास्पिटल का नाम दे दिया गया। लोगों का कहना है कि सिक्कों की खनक के आगे अधिकारियों को कुछ भी सुनाई नहीं देता है, जबकि स्वास्थ्य महकमें के ज़िम्मेदारों को सारा कुछ पता रहता है।
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