UPKeBol : वाराणसी। शहर में इस समय डेंगू, मलेरिया और मौसमी बुखार के मरीजो की तादात बढ़ी है, सरकारी अस्पताल खुद-ब-खुद बीमारी फैलने के गवाह हैं। कोई घर ऐसा नही जहा परिवार का एक यो दो व्यक्ति बुखार की चपेट में न हो। आंकड़ो की माने तो सभी सरकारी अस्पताल मरीजो से पट गए है। प्रतिदिन एक अस्पताल में ढाई से तीन हजार मरीज आ रहे हैं। वाराणसी शहर में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के एक संबंधी का पूरा परिवार बीमार है। कारण तबेला संचालक है जिनसे मच्छर पनप रहे हैं। लेकिन नगर निगम कार्यवाही नहीं कर पा रहा अब राज्यपाल के संबंधी के पूरे परिवार के बीमार होने का पता चलने के बाद महकमा खानापूर्ति में जुट गया है।
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वाराणसी शहर पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के बावजूद स्वच्छता अभियान को गति नहीं दे पा रहा है। नगर निगम प्रशासन फागिंग और दवाओं के छिड़काव का दावा तो करता है लेकिन नतीजा सामने है। स्वच्छता अभियान के तहत ही शहर के मवेशियों को शहर से बाहर करने का अभियान भी नगर निगम काफी वर्षो से चला रहा है, लेकिन नतीजा सिफर रहा।
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के संबंधी के घर के बगल में संचालित तबेले से पूरा परिवार हुवा बीमार, अस्पताल में भर्ती, सालो से अभियान चलाने के बाद भी नगर निगम काशी को नही करा सका पशुओ से मुक्त, 200 तबेले रिहायशी इलाकों में हो रहे संचालित
अब तक नगर निगम प्रशासन शहर को पशुओ से मुक्त नही करा सका है। जिसका खुलासा तब हुवा जब जम्मू कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा के एक खास दोस्त जिनके घर राज्यपाल जब शहर में होते हैं तो जरूर जाते हैं ने नगर निगम में शिकायत किया। उन्होंने कहा कि घर के पास तबेला होने की वजह से गंदगी, बदबू और मच्छरों की भरमार है। जिसके कारण मेरे परिवार के सभी सदस्य बीमार हैं और मैं खुद अब अस्पताल में भर्ती हूँ।
इस पर नगर निगम के जिम्मेदारों ने औपचारिकता निभाते हुए कार्यवाही का आस्वासन दिया लेकिन जब पता चला कि जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के संबंधी के परिवार का मामला है तो नगर निगम अधिकारियों ने कॉलोनी में फागिंग और नाला सफाई कराने की बात कही है। लेकिन संचालित तबेले पर कोई कार्यवाई नगर निगम प्रशासन नही कर सका है।
आपको बताते चले कि शहर के पशुपालको को उनके मवेशियों को रखने के लिए शहर के बाहर दो स्थानों पर गौशालाएं बनवाई गई है। पशुओ से शहर को मुक्त करने के लिए नगर निगम भारी भरकम प्रवर्तन दल की टीम जिसमे 31 सुरक्षाकर्मी है जिनको प्रतिमाह 244000 रुपये तनख्वाह दी जाती है के साथ स्थानीय पुलिस को लेकर सालो से अभियान चला रहा।
लेकिन बड़े तबेले वालो जिनके यहां सौ से ज्यादा की संख्या में मवेशी हैं का कुछ नही बिगाड़ सकी और वह तबेले लगातार संचालित हैं। कुछ छोटे पशुपालको ने जरूर अपने मवेशियों को शहर के बाहर बने गौशालाओ में रखा है लेकिन उनका कहना है कि शहर से दूर भी है और वाजिब सुविधा नही होने के कारण बहुत परेशानी होती है।
वही शहर के बड़े तबेले वालो पर नगर निगम न तो अभी तक कोई करवाई कर सका और न ही उनके मवेशियों को शहर से बाहर करवा सका है। वाराणसी शहर के रिहायशी इलाकों में प्रतिबंध के बावजूद तबेला धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। जिस कारण लोगो को गंदगी और उनसे उत्पन्न होने वाले मच्छरों के साथ बदबू, से जूझना पड़ रहा है।
अब देखना ये है कि राज्यपाल के नाम पर नगर निगम तबेले को शहर से बाहर करवा पाता है या तबेला संचालको की ताकत के आगे घुटने टेक हल्की कार्यवाई और जुर्माना कर शांत हो जाएगा।
अभी भी शहर में 200 तबेले हैं संचालित, 70 पर है एफआईआर : अपर नगर आयुक्त
अपर नगर आयुक्त सुमित कुमार ने बताया कि समय समय पर पशुपालको के खिलाफ अभियान चलाया जाता है। अभी शहर में कई आयोजनों के कारण अभियान लंबे समय से बाधित है जिसे फिर से शुरू किया जाएगा। अभी तक 358 पशुपालको को शहर से बाहर किया है और अभी 200 के करीब शहर में तबेले मौजूद है। इनमें से 70 तबेला संचालक ऐसे हैं जिन पर एफआईआर भी दर्ज है लेकिन पशुपालक निश्चिन्त है क्योंकि पुलिस सुस्त है।
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