- अब परिषदीय विद्यालयों में नहीं की पढ़ाई तो होंगे फेल, केंद्र सरकार ने किए शिक्षा नियमों में बदलाव
- पढ़ाई में लापरवाही अब नहीं चलेगी : 5वीं और 8वीं के छात्रों पर लागू होंगे नए नियम, केंद्र सरकार ने ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ की समाप्ति का फैसला लिया
लखनऊ। शिक्षा का स्तर सुधारने और छात्रों को मेहनत के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब 5वीं और 8वीं कक्षा के छात्रों के लिए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ खत्म कर दी गई है। यह बदलाव न केवल स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देगा, बल्कि छात्रों को पढ़ाई के प्रति गंभीर बनाएगा। इस कदम से शिक्षा व्यवस्था में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है, जहां परिश्रम ही सफलता की कुंजी होगी।
केंद्र सरकार ने स्कूली शिक्षा में बड़े बदलाव करते हुए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म करने का फैसला किया है। अब 5वीं और 8वीं कक्षा के छात्रों को पास करने के लिए परीक्षाओं में सफलता अनिवार्य होगी। यदि छात्र असफल होते हैं, तो उन्हें दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा। इसके बावजूद पास न होने पर छात्रों को उसी कक्षा में रोका जाएगा।
यह बदलाव अगले शैक्षणिक सत्र से लागू होने की संभावना है। शिक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में ‘अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2024’ के तहत संशोधन जारी कर दिया है।
मुख्य बिंदु :
- फेल होने पर फिर से परीक्षा : छात्रों को पहली बार परीक्षा में असफल होने पर दोबारा परीक्षा देने का अवसर मिलेगा।
- दो माह के भीतर पुनः परीक्षा : परीक्षा परिणाम के बाद दो महीने के अंदर छात्रों को दोबारा परीक्षा आयोजित की जाएगी।
- विशेष ध्यान : शिक्षकों और स्कूल प्रशासन को असफल छात्रों की प्रगति पर ध्यान देना होगा और उनकी विशेष मदद करनी होगी।
- नो डिटेंशन पॉलिसी का अंत : पहले सभी छात्रों को बिना फेल किए अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था। यह नीति अब समाप्त हो गई है।
जानिए क्या थी ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’?
‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ के तहत 5वीं और 8वीं के छात्रों को बिना परीक्षा में नंबर की परवाह किए अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था। इससे छात्रों में पढ़ाई को लेकर गंभीरता कम हो गई थी। इस नीति के खत्म होने के बाद अब छात्रों को कड़ी मेहनत करनी होगी।
शिक्षा के स्तर में गिरावट का कारण
सरकार ने यह फैसला शिक्षा के स्तर में गिरावट को रोकने के लिए लिया है। ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ ने छात्रों में परीक्षाओं का महत्व कम कर दिया था, जिसका असर 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में दिखने लगा।
राज्यों को फैसला लेने की छूट
शिक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि स्कूली शिक्षा राज्यों का विषय है। इस नीति को लागू करने या खत्म करने का अधिकार राज्यों को दिया गया है। हालांकि, केंद्र सरकार की गाइडलाइंस सभी सरकारी और निजी स्कूलों पर लागू होंगी।
अब परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाई को गंभीरता से लेना जरूरी हो गया है। केंद्र सरकार के इस बदलाव से छात्रों को मेहनत करने की प्रेरणा मिलेगी और शिक्षा का स्तर सुधरेगा।
क्या बोले शिक्षा अधिकारी?
बेसिक शिक्षा अधिकारी रायबरेली शिवेंदु सिंह ने बताया कि अभी इस विषय पर शासन से स्पष्ट निर्देश नहीं मिले हैं। जैसे ही दिशा-निर्देश आएंगे, स्कूलों में नए नियमों का पालन सुनिश्चित कराया जाएगा।