फोटो : दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज में राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा हिंदी सप्ताह शुभारंभ कार्यक्रम को सम्बोधित करते प्रख्यात साहित्यकार एवं भारतीय प्रसारण सेवा में उप महानिदेशक रहे लक्ष्मी शंकर बाजपेयी
SHARE
भारत राष्ट्र के अस्तित्व में हिंदी भाषा का महत्वपूर्ण योगदान : लक्ष्मी शंकर बाजपेयी
हिंदी को मातृभाषा के साथ-साथ कर्म की भाषा बनाएं : प्रो. राजेश गिरि
राजधानी कॉलेज में राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा हिंदी सप्ताह का शुभारंभ
नई दिल्ली।दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज में राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा आयोजित हिंदी सप्ताह का उद्घाटन समारोह कॉलेज के संगोष्ठी कक्ष में संपन्न हुआ। इस अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार एवं भारतीय प्रसारण सेवा में उप महानिदेशक रहे लक्ष्मी शंकर बाजपेयी मुख्य अतिथि एवं कार्यक्रम में अध्यक्ष के रूप में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर राजेश गिरि उपस्थित रहें। कार्यक्रम को राजभाषा कार्यान्वयन समिति के समन्वयक डॉ वेद मित्र शुक्ल, हिन्दी विभाग के प्रभारी डॉ. महेंद्र सिंह बेनीवाल, समिति के सदस्य व स्टाफ काउंसिल के सचिव प्रोफेसर बरुण कुमार मिश्र सहित अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया। यह भी पढ़ें : सुजौली क्षेत्र के चार ग्राम पंचायत के 24 से अधिक गांव में बाढ़, डेढ़ हजार से अधिक परिवार प्रभावित
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित लक्ष्मी शंकर बाजपेयी ने बोलते हुए इस बात पर चिंता व्यक्त की कि भारत में हिंदी भाषा की जो जगह होनी चाहिए वह चिंता बढ़ाने वाली है| उन्होंने हिंदी भाषा के विस्तार, अनुपालन और संवर्धन पर बात करते हुए कहा़ कि इसमें हमारे छोटे-छोटे प्रयास अधिक उपयोगी हो सकते है ।
मुख्य वक्ता श्री बाजपेयी ने अपने सारगर्भित वक्तव्य में हिंदी भाषा के वर्तमान दशा पर प्रकाश डाला और राष्ट्र की परिकल्पना पर बात करते हुए कहा कि भारत राष्ट्र के अस्तित्व में हिंदी भाषा का महत्वपूर्ण योगदान है । उन्होंने हिंदी भाषा को आर्य समाज सहित अनेक संस्थाओं की उन्नति महत्वपूर्ण कारक बताया । हिंदी भाषा युवाओं को संस्कार से परिपूर्ण करती है।
कार्यक्रम के दौरान कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर राजेश गिरि ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में हिंदी भाषा को मातृभाषा के साथ-साथ कर्म की भाषा भी बताते हुए कहा कि हिंदी भाषा और साहित्य की व्यापक समृद्धि उसको अपने व्यवहार में लाने पर निर्भर करती है। प्राचार्य गिरि ने कहा कि हर भारतीय को हिंदी भाषा के लिए मानसिक रूप से आज अधिक तैयार होने की की आवश्यकता है। उन्होंने व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में भी हिंदी भाषा के महत्व को और अधिक बढ़ाने पर जोर दिया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में सरस्वती वंदना एवं विश्वविद्यालय के कुलगीत के उपरांत राजभाषा कार्यान्वयन समिति के समन्वयक डॉ वेद मित्र शुक्ल ने आगामी हिन्दी सप्ताह में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा से अवगत कराया| साथ ही राजभाषा हिन्दी को कर्तव्य भाषा की संज्ञा देते हुए उससे होने वाली उपलब्धियों विशेष रूप से उन्नति और अधिकार-भाव के पक्ष पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का संचालन डॉ मानसी युवेन्द्र चौधरी और डॉ भूमिका गर्ग ने किया| धन्यवाद ज्ञापन समिति के वरिष्ठ सदस्य प्रो. बरुन कुमार मिश्र जी द्वारा किया गया।