UPKeBol : गोण्डा। यूपी के गोंडा जिले में स्टेशन रोड पर स्थित भारतीय स्टेट बैंक के सामने 11 दिन पूर्व खुद को आग के हवाले करके मौत को गले लगा लेने वाले युवक दिव्यराज पांडेय के मामले में अब बैंक प्रबंधन कोई भी ऋण आवेदन मिलने से इनकार कर रहा है। बैंक की ओर से कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया इस पर सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बैंक की करतूत बयान की है। संसद ने पत्र में कहा है कि बैंक प्रबंधक पर मृतक दिव्य राज से घूस मांगने समेत कई गंभीर आरोप हैं।
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कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है। पत्र में सांसद ने स्टेट बैंक प्रबंधन व जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की इस मामले में अब तक की गई कारगुजारियों का जिक्र किया है। बताया जा रहा है कि 11 दिनों पहले बैंक के सामने ग्राम सरहरा गांव के निवासी युवक दिव्यराज पांडेय ने बैंक से ऋण नहीं मिलने से क्षुब्ध होकर स्टेट बैंक के सामने खुद को आग के हवाले कर लिया था। इलाज के दौरान दिव्यराज की मौत हो गई थी।
लेकिन अब तक अफसरों की ओर से उसके परिजनों की कोई आर्थिक मदद भी नहीं की गई है। पत्र के माध्यम से सांसद ने वित्त मंत्रालय से पीड़ित युवक को आर्थिक सहायता दिलाने की मांग की है।
पत्र में सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने बताया है कि कोतवाली नगर से महज पचास मीटर की दूरी पर लाभार्थी युवक को ऋण नहीं मिलने के कारण आत्महत्या करने के लिए विवश होना पड़ा। जब यह खबर चैनलों व मीडिया में सुर्खियां बनी तो बैक के प्रबंधक, कर्मचारियों व अधिकारियों की ओर से पीड़ित परिवार की आर्थिक मदद करने का आश्वासन भी दिया गया था।
पत्र में सांसद ने बताया है कि केन्द्र सरकार ने किसानो, व्यापारियों व कामगारों को सुलभता से निर्धारित समय सीमा में ऋण मुहैया कराने का जिम्मा बैंकों को सौपा है। लेकिन कतिपय कारणों से यह ऋण उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो विधि अनुसार उसकी जानकारी आवेदक को दी जानी चाहिए। सांसद बृजभूषण सिंह ने बताया कि 11 दिनों के बाद बैंक के द्धारा अभी तक कोई आर्थिक मदद नहीं की गई है।
सांसद ने पत्र में कहा है कि मृतक युवक के पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता दिलाने का प्रयास किया गया तो बैंक प्रबंधक ने असमर्थता जता दी, प्रबंधक की ओर से यह कह दिया गया कि मृतक युवक दिव्यराज की ओर से बैंक में कोई ऋण का आवेदन प्रस्तुत ही नहीं किया गया था। जबकि बैंक के मैनेजर व फील्ड आफीसर के द्धारा मृतक आवेदक को प्रताड़ित करने के व ऋण उपलब्ध न कराने, ऋण देने के बाबत उससे घूस मांगने के गंभीर आरोप हैं।
सांसद ने पत्र में बताया कि उनके द्धारा निगरानी समिति की बैठकों में बैंको में योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए कई बार सिटीजन चार्टर लागू करने के लिए बैंक अधिकारियों से जवाब मांगा जाता रहा। लेकिन उसे टाल करके इतिश्री कर दी जाती रही। सांसद के इस पत्र के बाद बैंक के अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
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