- महाराजा सुहेलदेव का नाम बिगाड़ने में जुटे बहराइच मेडिकल कालेज प्राचार्य
Medical department’s claim of providing facilities to senior citizens proved meaningless : अनुराग गुप्ता : बहराइच। जहां एक तरफ केंद्र सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में महाराजा सुहेलदेव को उनका गौरव वापस लौटाने में पूरे मनोयोग से जुटी है वहीं राज्य सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे। जनपद में महाराजा सुहेलदेव की कर्मस्थली चितौरा में उनका भव्य स्मारक निर्माणाधीन है, वहीं बहराइच मेडिकल कालेज का नाम भी उनके नाम पर रख कर प्रदेश सरकार ने चार चांद लगा दिया है, लेकिन महाराजा सुहेलदेव स्वशाषी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय के प्राचार्य हैं कि सरकार की भी मानने को तैयार नहीं हैं और प्राचार्य डॉ. संजय खत्री के कर्मचारी प्राचार्य की बात सुनने को तैयार नहीं हैं।
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जी हां! जरा गौर से देखिए ! समाचार के साथ संलग्न इस छाया चित्र को, यह छाया चित्र कहीं और का नहीं बल्कि महाराजा सुहेलदेव स्वशाषी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय से सम्बद्ध महर्षि बालार्क चिकित्सालय बहराइच का है। जहां सबसे ऊपर लाल रंग के पेंट से एन.सी.डी/पी.जी.एस लिखा है जबकि उसके ठीक नीचे काले रंग से सबसे पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लिखा गया है। दूसरे नम्बर पर पूर्व सांसद/विधायक, वरिष्ठ नागरिक, विकलांग, उ.प्र. राज्य कर्मचारी एवं सबसे अन्त में मान्यता प्राप्त पत्रकार लिखा है।
यह काउन्टर नम्बर 3 इन नागरिकों के लिए ओपीडी कार्ड बनवाने के लिए आरक्षित है, लेकिन आज तक इस काउन्टर पर कोई कर्मी तैनात ही नहीं मिला, इसका प्रमाण बगल में बनी खिड़की पर रखे ए फोर साइज कागज की रिम के हरे रंग के बण्डल से मिल रहा है, इस बंडल को रख कर काउंटर को बंद किया गया है।
आपको बताते चलें कि बीते 4 जनवरी को जब महाराजा सुहेलदेव स्वशाषी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ संजय खत्री ने नवीन महाविद्यालय भवन के आडिटोरियम हाल में चिकित्सा महाविद्यालय की एक वर्ष की उपलब्धियों का पिटारा लेकर पत्रकारों से वार्ता की थी उस दौरान भी इस बात का जिक्र किया था कि अब इन नागरिकों को ओपीडी कार्ड बनवाने के लिए दिक्कत नहीं उठानी पड़ेगी।
महाविद्यालय के प्राचार्य ने कहा था कि महाविद्यालय ने ऐसे नागरिकों के लिए अलग काउंटर की व्यवस्था की है। इतना ही नहीं प्राचार्य डॉ खत्री ने पत्रकारों को यह भी बताया था कि ऐसे नागरिकों के लिए अलग रंग के ओपीडी कार्ड की व्यवस्था भी की गई है, जो शुरू की जा चुकी है। लेकिन 552 घण्टे बीत जाने के बाद भी काउन्टर नम्बर 3 पर न तो कोई कर्मी दिखा न ही अलग रंग के ओपीडी कार्ड।
ऐसे में यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीते एक वर्षों में बहराइच का महाराजा सुहेलदेव स्वशाषी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय से सम्बद्ध महर्षि बालार्क चिकित्सालय रोगियों को उपचार देने में कितना सफल हो सका है।