UPKeBol : संत कबीर नगर। दुनिया प्रति वर्ष 27 सितंबर को पर्यटन दिवस मनाती है। यह दिवस पर्यटन को बढ़ावा देने और जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस वर्ष 2023 विश्व पर्यटन दिवस का थीम “पर्यटन और हरित निवेश” है। आइए जानते हैं विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर जनपद संत कबीर नगर में घूमने लायक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक जगहों के बारे में…
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ज्ञात हो कि जनपद के मगहर नामक स्थान पर संत कबीरदास ने विक्रम संवत 1575 में माघ शुक्ल एकादशी को अपने शरीर को त्याग दिया। संत कबीरदास हिंदुओं और मुस्लिमों में समान रूप से लोकप्रिय थे। उनकी मृत्यु पर दोनों वर्गों ने अपनी अपनी परम्परा के अनुसार समाधि और मजार निर्मित कर तब से अब तक श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं।
- विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष
संत कबीर की परिनिर्वाण स्थली पर ही मकर संक्रांति के अवसर पर सप्ताह भर चलने वाला “मगहर महोत्सव” आयोजित होता है। जिसमें कबीर के साखी-सबद-रमैनी की त्रिवेणी बहती है। क्रांतिकारी कवि, समाज सुधारक संत कबीर ने काशी के ऊपर मगहर को चुना। क्योंकि एक प्रबुद्ध आत्मा के रूप में वह उस मिथक को दूर करना चाहते थे कि कोई भी अपने जीवन के अंतिम सांस मगहर मे लेने से उसका अगला जन्म एक गधे के रुप मे होता है।
…का काशी तन तजै कबीरा, रामहि कौन निहोरा
समृद्ध है खलीलाबाद का इतिहास
स्थानीय राजपूतों के विद्रोह को दबाने के लिए खलील-उर-रहमान को भेजा गया था। उस समय जय सिंह और विजय सिंह नामक दो भाई थे। औरंगजेब के सैनिकों द्वारा विजय सिंह के मारे जाने के बाद, जय सिंह को इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर होना पड़ा। ‘पचपोखरी’ निवासी जय सिंह को जसीम खान नाम मिला। मुख्यालय के किले से वर्तमान मे कोतवाली खलीलाबाद संचालित होती है। जिसके पिछले हिस्से में किले के अवशेष देखे जा सकते हैं।
प्राचीन देवी मंदिर हैं आस्था के केंद्र
पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल
संत कबीर नगर में बखिरा पक्षी बिहार, कोपियां बौद्ध कालीन स्थल, लहुरादेवा ऐतिहासिक स्थल, नव निर्मित संत कबीर एकादमी आदि अनेक पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है।
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