- बहराइच के सिंचाई कॉलोनी गिरिजापुरी के भवनों पर अवैध कब्जा, प्रभावित हो रहा कतर्नियाघाट सेंक्चुरी परिक्षेत्र का पर्यावरण
- अपनी सफाई देते हुए एक्सईएन बोले सिचाई कालोनी गिरीजापुरी को जल्द ही वन विभाग को कर दूंगा हैंडओवर, सिर्फ कुछ स्टाफ के लिए ही रहेंगे भवन
उवेश रहमान
बहराइच। यूपी के बहराइच जिले के कतर्नियाघाट सेंक्चुरी में गिरिजापुरी क्षेत्र में स्थित सिंचाई विभाग की कॉलोनी के भवनों पर बड़े पैमाने पर अवैध कब्जा है। अवैध कब्जे के चलते सिंचाई विभाग की सरकारी संपत्ति क्षतिग्रस्त हो रही है, इसके बावजूद सिंचाई विभाग के जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं। इस अवैध कब्जे के चलते जहां सरकार को चूना लग रहा है वही कतर्नियाघाट सेंक्चुरी परिक्षेत्र का पर्यावरण भी बड़े पैमाने पर प्रभावित हो रहा है। हालांकि अवैध कब्जे की बात पर एक्सईएन अपनी सफाई देते हुए शीघ्र ही सिंचाई विभाग की कॉलोनी को वन विभाग के सुपुर्द करने की बात कहते हुए किनारा कसने की कोशिश कर रहे हैं।
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आपको बताते चलें कि बहराइच के पश्चिमी हिस्से में कतर्नियाघाट सेंक्चुरी स्थित है। इस कतर्निया घाट जंगल से होकर नेपाल की गेरुआ और कौड़ियाला नदियां बहती है। नेपाल की यह दोनों नदियां जंगल से होते हुए बहराइच लखीमपुर की सीमा पर गिरिजापुरी क्षेत्र में मिलकर घाघरा नदी को जन्म देती है। दोनों नदियों के संगम और घाघरा नदी के उद्गम स्थल पर चौधरी चरण सिंह गिरजा बैराज स्थापित है।
इस चौधरी चरण सिंह गिरजापुरी बैराज से सरयू और शारदा नहर का उद्गम होता है। इन नहरों के नियंत्रण की जिम्मेदारी के लिए बैराज की स्थापना के साथ ही गिरिजापुरी में सिंचाई विभाग की ओर से कॉलोनी की स्थापना की गई थी। शुरुआती दौर में तो कॉलोनी में सिंचाई विभाग के अधिकारी और कर्मचारी रहते थे लेकिन नहरों का निर्माण कार्य पूरा होने और नहरों का संचालन अबाध गति से शुरू होने के बाद धीरे-धीरे काफी संख्या में कर्मचारियों के भवन खाली होते गए।
नहरों के नियमित संचालन के लिए गिने-चुने अधिकारी और कर्मचारी ही रह गए। इसका लाभ अवैध कब्जेदारों ने उठाया। खाली भवनो को अपने नाम पर एलाट करवाने के बाद लोगों ने भवनो पर कब्जा जमा लिया। सिंचाई विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। अब हालात यह है कि काफी संख्या में भवन जर्जर पड़े हैं वही बड़े पैमाने पर सिंचाई विभाग के भवनों पर लोगों का कब्जा है।
गैर विभाग के कर्मचारियों और दबँगो के नाम आवंटित है भवन
आपको बताते चलें कि सिंचाई कॉलोनी गिरजापुरी इस समय बड़े पैमाने पर अवैध कब्जेदारों की गिरफ्त में है। गिरिजापुरी सिंचाई कॉलोनी के कई भवन गैर विभाग के कर्मचारियों और दबँगो के नाम पर आवंटित है। कई भवनों में ऊंची पहुंच वाले लोगों के ताले लगे हुए है। लेकिन सिंचाई विभाग के जिम्मेदार आंख मूंदे हुए है।
किराए पर संचालित होते हैं कई भवन
सिंचाई कॉलोनी गिरिजापुरी सूत्रों के मुताबिक कई भवनों पर ऊंची पहुंच वाले और दबंगों के कब्जे हैं, ऐसे भवनों को किराए पर संचालित कर मोटा किराया वसूला जा रहा है। लेकिन इन सब मामलों को जानकर भी सिंचाई विभाग के जिम्मेदार अनजान बने हुए है।
जंगल के बीच कॉलोनी से प्रभावित हो रहा है कतर्नियाघाट सेंक्चुरी का पर्यावरण
कतर्नियाघाट सेंक्चुरी 551 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस संरक्षित वन क्षेत्र में दुर्लभ बाघ, तेंदुए, हिरण और हाथी के साथ गैंडडे व अन्य वन्य जीव प्रवास करते हैं। लेकिन जंगल के बीचो-बीच गिरजापुरी कॉलोनी स्थापित होने के चलते और मानव हस्तक्षेप बढ़ाने के कारण न सिर्फ पर्यावरण प्रभावित हो रहा है बल्कि वन्य जीवों के प्रवास और विचरण पर भी संकट मंडरा रहा है।
बंद कर दिया है नया अलॉटमेंट, वन विभाग को जल्द सौंपेंगे : एक्सईएन
सिंचाई कॉलोनी गिरिजापुरी में अवैध कब्जे की बात कहने पर एक्सईएन सिचाई विभाग हर्ष कुमार पहले तो बगले झांकने लगे फिर उन्होंने कहा वन विभाग को हैंडओवर करने का फरमान जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि सिचाई विभाग को वन विभाग लगातार नोटिस देकर कॉलोनी खाली कराने की बात कह रहा है जिसको लेकर जल्द ही हम सिर्फ कुछ सिचाई विभाग कर्मचारियों के रूम को छोड़कर बाकी कॉलोनी भवनों को वन विभाग को हैंडओवर कर देंगे। सिचाई कालोनी गिरीजापुरी के 80 प्रतिशत भवनों में व्यापारी, रिटायर्ड कर्मचारी व स्कूल टीचर व अन्य के कब्जा होने की बात पर एक्सइएन ने कहा कि हम उन्हें रूम खाली करने को लेकर नोटिस दे चुके हैं और नया एलॉटमेंट बंद कर दिया गया है जल्द ही सभी से भवन खाली कराकर उन्हें वन विभाग को सौंप दिया जाएगा।
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